ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की गुजारिश वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते करते हुए कहा कि जनहित याचिका की प्रणाली का दुरुपयोग न करें। अपने विषय पर पहले सही से रिसर्च करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराएं, यदि कोई विश्वविद्यालय आपको ऐसे विषय पर शोध करने से मना करता है तो हमारे पास आएं। याचिका पर दो बजे फिर सुनवाई होगी।
अयोध्या के भाजपा नेता की याचिका पर सुनवाई
करीब 45 मिनट की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने सवा दो बजे फिर मामले की सुनवाई नियत की है। बता दें कि यह याचिका अयोध्या के भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने दायर की है। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 ईसवीं में राजा परमर्दिदेव ने कराया था। याचिका में यह भी दावा है कि माना जाता है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है।
याचिका में अयोध्या के महंत परमहंस के वहां जाने और उन्हें भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है। याचिका ने ताजमहल के संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी (तथ्यों का पता लगाने वाली समिति) बनाकर अध्ययन करने और ताजमहल के बंद करीब 20 दरवाजों को खोलने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।